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مانا کہ تیری دید کے قابل نہیں ہوں میں تو میرا شوق دیکھ ،انتطار دیکھ ڈاکٹر اقبال
ये न थी हमारी किस्मत की विसाले यार होता अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता। मिर्ज़ा असदुल्लाह खान गालिब
یہ نہ تھی ہماری قسمت کہ وصال یار ہوتا اگر اور جیتے رہتے یہی انتظار ہوتا۔ مرزا غالب
वो आ रहे हैं वो आते हैं वो आ रहे होंगे शबे फिराक ये सोच के गुज़ार दी हम ने। फैज अहमद फैज
وہ آ رہے ہیں ، وہ آتے ہیں وہ آ رہے ہونگے شبِ فراق یہ سوچ کر گزار دی ہم نے۔ فیض احمد فیض
कब ठहरेगा दर्दे दिल कब रात बसर होगी सुनते थे वो आएंगे सुनते थे सहर होगी। फैज अहमद फैज
کب ٹھہرے گا درد دل کب رات بسرہوگی سنتے تھے وہ آئینگے سنتے تھے سہر ہوگی فیض احمد فیض
जान लेवाँ थी ख्वाहिशें वरना वस्ल से इंतज़ार अच्छा था। जौन एलिया
जानता है कि वो न आएंगे फिर भी मसरूफे इंतज़ार है दिल फैज अहमद फैज
جانتا ہے کہ وہ نہ آئینگے پھر بھی مصروفِ انتظار ہے دل فیض احمد فیض
कहीं वो आके मिटा न दें इंतज़ार का लुत्फ कहीं कुबूल न हो जाए इंतज़ार मेरा हसरत जयपुरी
अब इन हुदूद में लाया है इंतज़ार मुझे वो आ भी जाएँ तो आए न आएतबार मुझे। खुमार बाराबंकवी
बेखुदी ले गई कहाँ हम को देर से अंतेजार है अपना मिर तकी मिर
कोई इशारा दिलासा न कोई वादा मगर जब आई शाम तेरा इंतज़ार करने लगे। वसीम बरेलवी
اب کون منتظر ہے ہمارے لیے وہاں شام آگئی ہے لوٹ کے گھر جائیں ہم تو کیا۔ منیر نیاضی